"तेरे अरमानो को अपनी ज़िन्दगी बना लूँगा मैं,
तेरे ज़ख्मो को अपनी बंदगी बना लूँगा मैं |
रहकर साये में तेरी जुल्फों के पल भर के लिए भी
तेरी ख़ूबसूरती को अपनी सादगी बना लूँगा मैं || "
"या तो उनकी अदाओं में अब वो कशिश नहीं,
या हमारी नज़रे अब तकल्लुफ नहीं करती.........कुछ तो हैं ||
या तो उनकी दिल्लगी महज़ एक धोखा थी,
या उनकी गुफ्तगू को हम दिल्लगी समझ बैठे.........कुछ तो हैं ||
या तो उनकी मासूमियत में अब वो सच्चाई नहीं,
या ये दिल की आवाज़ अब पहचान नहीं करती........कुछ तो हैं ||
या तो वो बेरहम बेवफा निकले,
या उनकी दोस्ती को हम दिल्लगी समझ बैठे.........कुछ तो हैं ||"
"उसकी हंसी मेरे मन को लुभा गयी,
मेरे चंचल मन पे एक विराम सा लगा गयी,
उस हसीना का चेहरा अब भी नज़र से उतरता नही,
लगता हैं मेरी 'वो' मेरी ज़िन्दगी मैं आ गयी"
- 'जिज्ञासु''
तेरे ज़ख्मो को अपनी बंदगी बना लूँगा मैं |
रहकर साये में तेरी जुल्फों के पल भर के लिए भी
तेरी ख़ूबसूरती को अपनी सादगी बना लूँगा मैं || "
"या तो उनकी अदाओं में अब वो कशिश नहीं,
या हमारी नज़रे अब तकल्लुफ नहीं करती.........कुछ तो हैं ||
या तो उनकी दिल्लगी महज़ एक धोखा थी,
या उनकी गुफ्तगू को हम दिल्लगी समझ बैठे.........कुछ तो हैं ||
या तो उनकी मासूमियत में अब वो सच्चाई नहीं,
या ये दिल की आवाज़ अब पहचान नहीं करती........कुछ तो हैं ||
या तो वो बेरहम बेवफा निकले,
या उनकी दोस्ती को हम दिल्लगी समझ बैठे.........कुछ तो हैं ||"
"उसकी हंसी मेरे मन को लुभा गयी,
मेरे चंचल मन पे एक विराम सा लगा गयी,
उस हसीना का चेहरा अब भी नज़र से उतरता नही,
लगता हैं मेरी 'वो' मेरी ज़िन्दगी मैं आ गयी"
- 'जिज्ञासु''
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